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Saturday, December 16, 2006

barf mein pighalti hui aag

बहुत कुछ कह जाती है खामोशी
बोल कर भी हम
कुछ नहीं कह पाते
ये तो एक अनसुना राग है

खामोशी को दबाने की
कोशिश करने वाली आवाजें
ये नहीं जानती शायद
ये तो बर्फ में पिघलती हुई आग है

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