Search This Blog

Saturday, December 16, 2006

आखिरी हदों में हूँ


रिश्तों के अजब मोड़ पर खडा हूँ
पीछे मुड़ नहीं चल सकता आगे चल नहीं सकता

इश्क की आखिरी हदों में हूँ
राख हो नहीं सकता और जल नहीं सकता

No comments:

Post a Comment