har baar....kuchh naya likhta hoon yahan...aur darta hoon ki log kya kahenge...is se bhi zyada darr is baat ka lagta hai ki kya hoga agar logon ne kuchh na kaha to!!
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Saturday, December 16, 2006
आखिरी हदों में हूँ
रिश्तों के अजब मोड़ पर खडा हूँ पीछे मुड़ नहीं चल सकता आगे चल नहीं सकता
इश्क की आखिरी हदों में हूँ राख हो नहीं सकता और जल नहीं सकता
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