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Monday, August 20, 2012

संसद में एक दिन


-"टाट्रा..." विपक्ष के नेता ने बोलना शुरू किया.
"ये नहीं कह सकते" संसद में शोर होने लगा.
-"वी. के. सिंह..."
"नहीं नहीं नहीं...."
- "इटली..."
"असंवैधानिक भाषा है"
-"कोयला, जंगल...."
"बिलकुल नहीं.."
-"रिपोर्ट...."
"नहीं बोल सकते"
-"मदेरणा, सिंघवी, तिवारी, कांडा...."
"संसद की गरिमा का ख्याल कीजिये"
-"भरतपुर,कोकराझार..."
"देश में अशांति फैलाने कि कोशिश कर रहे हैं आप"
-"बंगलौर, पुणे, अहमदाबाद...."
"अफवाह मत फैलाइये"
-"पाकिस्तान,हिंदू.."
"साम्प्रदाइक बातें नहीं हो सकती यहाँ"
-"लोकपाल, सिविल सोसाइटी..."
"लोकतंत्र के खिलाफ बोल रहे हैं आप"
-"टू जी, आदर्श,कॉमनवेल्थ....
"जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं...
-"कालाधन..."
"राजनीति मत कीजिये"
-"महंगाई..."
"मुद्दा मत बनाइये..."
-"किसान, कपास,आत्महत्या..."
"क्या कहना चाहते हैं आप"
विपक्ष के नेता को शोर शराबे की वजह से बैठना पड़ा.
संसदीय कार्य मंत्री खड़े हुए-"वैसे तो कोई सवाल हुआ ही नहीं है तो जवाब देने की कोई आवश्यकता नहीं है. फिर भी मैं कुछ बातें कहना चाहूँगा.देश में जो कुछ हो रहा है उसकी जिम्मेदारी अकेले सरकार की नहीं हो सकती. विपक्ष को भी जिम्मेदार होना होता है. विपक्ष बिना बात के मुद्दे न बनाए. संसद को हर बार ठप्प करने की कोशिश करता है विपक्ष.और विपक्ष के नेता से ये निवेदन है कि वो यहाँ असंसदीय भाषा और शब्दों का प्रयोग ना करें वरना संसद नहीं चल पाएगी. और हाँ आखिरी बात देश में शान्ति बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि विपक्ष शांत रहे. धन्यवाद !"

3 comments:

  1. Best Article I have ever read......I believe most of the people could not understand the awesome satire.

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  2. nice.. and yes opposition desh kaa acha sochne ke bajaaye, hameshaa govt ko tokne,rokne and taane maarne kaa baahaana dhoondhti rehti hai!

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