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Sunday, May 6, 2012

ए नेताजी


काम बड़ा ई नीक करईनी रऊआ ए नेताजी
गाँव में नइखे पानी लेकिन मिलेला पऊआ ए नेताजी

चाउर दाल में कंकर बा त कऊनो बात ई नइखे
दांत टुटल बा सारा पर बाचल बा चऊआ ए नेताजी

इस्कूल में मास्टरजी आके भी का कर लीहें
होई त नऊआ के बेटा तब्बो नऊआ ए नेताजी

कऊनो कुछ हेराई तब्बे कुछ कऊनो  पायी 
भूख से कऊनो मरी तब्बे कुछ खाई कउआ ए नेताजी 

पढ़ा-लिखा के केतना ऊपर पहुंचा देहनी ओकरा  
इस्कूल के खिचड़ी खा के काल्हे बचल न बऊआ ए नेताजी

13 comments:

  1. इस्कूल में मास्टरजी आके भी का कर लीहें
    होई त नऊआ के बेटा तब्बो नऊआ ए नेताजी... " :)

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  2. बहुत खूब ... ए मिश्रा जी ... :)

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  3. आपकी रचना फितूर पढ़ी.................

    बहुत सुंदर...
    दिल को छू गयी.............
    ढेरों शुभकामनाएँ.

    अनु

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  4. पढ़ा-लिखा के केतना ऊपर पहुंचा देहनी ओकरा
    इस्कूल के खिचड़ी खा के काल्हे बचल न बऊआ ए नेताजी!
    केतना ऊपर चहुंपा दिए :)

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  5. बहुत ही गज्जब एक एक पंक्ति शूल की तरह चोट करती हुई और आखिर में ....बहुत खूब । बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको

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  6. वाह: क्या बात है .. बहुत खूब । बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको

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  7. वाह जनाब...!
    जब भी मिलता हूँ उससे लोग कहते है गुनाह करता हूँ...

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  8. very interesting! you are one talented poet...looking forward to reading more of your work. Best wishes
    Swati
    PS: I am new into writing hindi poetry, only 3 days old actually ;-), would love to have your feedback on my poems at: http://swatienegi.hindiblogs.net/

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