कितने ही लोग हैं
शहर में मेरे
मिलने किससे मगर मैं कहाँ जाऊं?
किसी को तो मैं जानता नहीं हूँ
(पहचानता मुझे भी कोई कहाँ है?)
वो एक नदी थी
उत्तर दिशा में शहर के
घाट पर जिसके, बचपन मैं में
बैठा रहता था घंटों
शहर में मेरे
मिलने किससे मगर मैं कहाँ जाऊं?
किसी को तो मैं जानता नहीं हूँ
(पहचानता मुझे भी कोई कहाँ है?)
वो एक नदी थी
उत्तर दिशा में शहर के
घाट पर जिसके, बचपन मैं में
बैठा रहता था घंटों
वो मेरे पैरों को गुदगुदाती थी,
खेलती थी, बहती रहती थी
मगर अब वहाँ भी शहर है
जो मुझसे बात नहीं करता
(वो मुझको जानता नहीं ना)
सुनता हूँ नदी है अब भी वहीँ पर
जानता हूँ वो होगी कहीं पर-
उत्तर दिशा में शहर के
(नाला शहर का आखिर जाता कहाँ है?)
खेलती थी, बहती रहती थी
मगर अब वहाँ भी शहर है
जो मुझसे बात नहीं करता
(वो मुझको जानता नहीं ना)
सुनता हूँ नदी है अब भी वहीँ पर
जानता हूँ वो होगी कहीं पर-
उत्तर दिशा में शहर के
(नाला शहर का आखिर जाता कहाँ है?)
waah
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